मंगल-मंगल होय जगत में, सब मंगलमय होय |
मंगल-मंगल होय जगत में, सब मंगलमय होय |
इस धरती के हर प्राणी का, मन मंगलमय होय ||
मंगल-मंगल होय जगत में, सब मंगलमय होय |
इस धरती के हर प्राणी का, मन मंगलमय होय | |
कहीं क्लेश का लेष रहे ना, रोग-शोक नहीं होय ||
नहीं बैर अभिमान हो मन में, क्षोभ कभी नहीं होय |
मैत्री प्रेम का भाव रहे नित, मन मंगलमय होय || मंगल-मंगल...
मन का सब संताप मिटे अरु, अंतर उज्ज्वल होय |
राग-द्वेष औ मोह मिट जाए, आतम निर्मल होय ||
प्रभु का मंगलगान करें सब, पापों का क्षय होय |
इस जग के हर प्राणी का हर दिन, मंगलमय होय || मंगल-मंगल...
गुरु हो मंगल, प्रभु हो मंगल, धर्म सुमंगल होय |
मात-पिता का जीवन मंगल, परिजन मंगल होय ||
जग का जंगल, गण का मंगल, मन का मंगल होय |
राजा-प्रजा सभी का मंगल, धरा धर्ममय होय || मंगल-मंगल...
मंगलमय हो प्रात हमारा, रात सुमंगल होय ||
जीवन के हर पल क्षण की बात सुमंगल होय ||
घर-घर में मंगल छा जावे, जन-जन मंगल होय |इस धरती का कण-कण पावन औ मंगलमय होय || मंगल-मंगल...
(दोहा)
जीवन के हर पल क्षण की बात सुमंगल होय ||
घर-घर में मंगल छा जावे, जन-जन मंगल होय |इस धरती का कण-कण पावन औ मंगलमय होय || मंगल-मंगल...
(दोहा)
सब जग में मंगल बढ़े, टले अमंगल भाव |
है ‘प्रमाण’ की भावना, सब में हो सद्भाव ||