किया रे भवनुं वैर वाल्युं रे पुत्र थे तो
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🙏🏻श्रेणिक जी कोणिक जी की सज्झाय🙏🏻
किया रे भवनुं वैर वाल्युं रे पुत्र थे तो...2
तारा जनकने 🤴🏻पिंजर नांखी
पेट ज मारू रे बाल्युं रे पुत्र थे तो
किया रे भवनु वैर वाल्यु रे पुत्र थे तो ...2
आवुं करतां तुजने पापी लाज न आवी कांई
बुद्धि कुबुद्धि तें उपजावी राज्य 👑लोभे ललचाई रे पुत्र थे तो
किया रे भवनु वैर वाल्युं
गर्भे 🤰🏼आव्यो तुं मुज ज्यारे तेनी शुं वात ज कहेवी
तुज पितानुं मांसज मांग्यु बुद्धि ते कीधी रे पुत्र थे तो
किया रे भवनु वैर वाल्युं
पापीष्ठ तारो जनम थाता रीस 😡चढेली अपारी रे
उखरडे तुजने नंखाव्यो दुष्ट पुत्र में धारी रे पुत्र थे तो
किया रे भवनु वैर वाल्युं
श्रेणिक राये वात ज जाणी तुर्त तुने मंगाव्यो
पुत्र प्रति अति हेत ज 😘आणी अति तने हुलराव्यो रे पुत्र थे तो
किया रे भवनुं वैर वाल्यों
स्नेह आवो 👨👦तुज ऊपर राख्यो त्यारे आवुं कीधुं
फीट - फीट हो पापिष्ट तुजने कलंक कुलने दीधुं रे पुथे तो
किया रे भवनु वैर वाल्युं
आवुं समजी में तो तुजने पहले फेंकी दीधो
तुज पिताये स्नेहे 👨👦तुजने तोये मोटो कीधो रे पुत्र थे तो
किया रे भवनुं वैर वाल्युं रे पुत्र थे तो
हर्ष धरे शुं तुं मुज पासे तात ने पिंजर नाखी
लाजी मरुं छुं तुज थकी हुं वात सुणता आखी रे पुत्र थे तो
किया रे भवनुं वैर वाल्युं
निज पितानो स्नेह न जाण्यो राज👑 लेवाने धायो रे
स्वार्थ थकी ते जगमां पापी अपयश अधिको पायो रे पुत्र थे तो
किया रे भवनु वैर वाल्यो
दुष्ट दुर्मुख तुं जा अहियाथी शुं तुज मुख बतावे
अपकृत्यो सहुं तारा देखी दु:ख😔 ज मुजने थावे रे पुत्र थे तो
किया रे भव नुं वैर वाल्युं रे पुत्र थे तो
अप्रिय वाचा सुणी मातानी कोणिक त्यांथी जावे
करवा बंधन⛓️ मुक्त पिताने दोडतो ते तो आवे रे पुत्र थे तो
किया रे भवनु वैर वाल्युं रे पुत्र थे तो
आवतो पासे पुत्र ज देखी श्रेणिक मनमा बीतो
तालकुट मुद्रिका 💍मुखे चूसी कालज कीधो रे पुत्र थे तो
किया रे भवनु वैर वाल्यु रे पुत्र थे तो
स्वार्थ जुओ 😟आ दुनिया केरो कोई तणुं नव कोई
हर्षथी मन शोधो सुखने जगनी रचना जोई रे पुत्र थे तो
किया रे भवनुं वैर वाल्यु रे पुत्र थे तो...2
✍🏻 रचना - पूज्य श्री हर्षविजय जी
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