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मनुष जनम अनमोल रे

  मनुष जनम अनमोल रे, मिट्टी मे ना रोल रे। अब जो मिला है फ़िर ना मिलेगा, कभी नही कभी नही रे। तु सत्संग मे आया कर, गीत प्रभु के गाया कर। साँझ सवेरे बेठ के बन्दे , हरी का ध्यान लगाया कर। नही लगता कुछ मोल रे , मिट्टी मे ना रोल रे। अब जो मिला है फ़िर ना मिलेगा, कभी नही कभी नही रे। मनुष जनम …. तु बूद बूद है पानी का, मत कर जोर जवानी का। समझ समझ के क़दम रखो, पता नही ज़िन्दगानी का। सबसे मीठा बोल रे, मिट्टी मे ना रोल रे। अब जो मिला है फ़िर ना मिलेगा, कभी नही कभी नही रे। मनुष जनम …. मतलब का संसार है, इसका क्या ऐतबार है। सम्भल सम्भल के क़दम रखो, फुल नही अंगार है। मन की आँखे खोल रे, मिट्टी मे ना रोल रे। अब जो मिला है फ़िर ना मिलेगा, कभी नही कभी नही रे। मनुष जनम …. श्री सतगुरु सिर मोड़ है , ज्ञान का भंडार है। जो कोई उनकी सरणो में आवे , करते बेडा पार रे। सत्संग है अनमोल रे , मिट्टी मे ना रोल रे। अब जो मिला है फ़िर ना मिलेगा, कभी नही कभी नही रे।

हम जैन कुल में जन्मे, अभिमान करो रे और बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति

  हम जैन कुल में जन्मे, अभिमान करो रे, अभिमान करो रे, गुणगान करो रे, हम जैन कुल में जन्मे, अभिमान करो रे.. कहते हैं प्रणाम सागर, ध्यान करो रे, ध्यान करो रे, प्रणाम करो रे, नवकार जपो रे, जयकार करो रे, हम जैन कुल में जन्मे, अभिमान करो रे.. गुरुवर हैं बड़े सच्चे, इनका मान करो रे, सन्मान करो रे, ये ध्यान धरो रे, सन्मान करो रे, ये ध्यान धरो रे, हम जैन कुल में जन्मे, अभिमान करो रे.. प्रभु लगते बड़े अच्छे, सब नाम जपो रे, सतकाम करो रे, ये काम करो रे, सतकाम करो रे, ये काम करो रे, हम जैन कुल में जन्मे, अभिमान करो रे..   बाबा कुण्डलपुर वाले की भक्ति करो झूम झूम के झूम झूम के, घूम घूम के, घूम घूम के, झूम झूम के विद्यासागर छोटे बाबा की भक्ति करो झूम झूम के बाबा कुण्डलपुर वाले की... कुण्डलपुर की सुन्दर पहड़िया पहड़िया पे है सुन्दर अटरिया झूम झूम के, घूम घूम के, जहा विराजे बड़े बाबा, भक्ति करो झूम झूम के बाबा कुण्डलपुर वाले की... नए मंदिर में हुआ रे कमाल है बड़े बाबा की मूरत विशाल है झूम झूम के, घूम घूम के, मंदिर विराजे बड़े बाबा की भक्ति करो झूम झूम के बाबा कुण्डलपुर वाले की... विद्यासागर जी का

जिनवर तू है चंदा तो मैं हूँ चकोर

               जिनवर तू है चंदा तो मैं हूँ चकोर । दर्शन तेरे पाकर मेरा झूम उठा मन मोर ॥टेक॥ अष्ठ कर्म को तूने मार भगाया, अज्ञानियों को तूने, ज्ञान सिखाया, कर्मों का तेरे आगे, चले ना कोई जोर, दर्शन तेरे पाकर मेरा झूम उठा मन मोर ॥१ जिन..॥ नैया खिवैया तू है, लाज बचैया, किनारे लगादे मेरी भटकी है नैया, मांझी तू है मेरा, सम्भालो मेरी डोर, दर्शन तेरे पाकर, मेरा झूम उठा मन मोर ॥२ जिन..॥ आया है जिनवर जो भी तेरी शरणवा, छवि तेरी पाकर उसका, खोया है मनवा  विनती मैं भी करता, तू सुन ले चितचोर, दर्शन तेरे पाकर मेरा झूम उठा मन मोर ॥३ जिन..॥  

महावीरजी का दर है सुहाना

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बेस्ट 5 जैन भजन यहां उपलप्ध है जो भी महावीरा के दर पे आ जाता है, बिन माँगे सब कुछ पा जाता है। महावीरजी का दर है सुहाना, ओ भक्तो बार बार चले आना, के करने से जिनवर भक्ति, मिलती है अद्धभुत शक्ति, के करने से जिनवर भक्ति, मिलती है अद्धभुत शक्ति, महावीरजी का दर है सुहाना। जो भी महावीरा के दर पे आ जाता है, बिन मांगे ही सब कुछ पा जाता है, निशदिन प्रतिपल प्रभु को जो ध्याता है, सोया भाग उसका जग जाता है, प्रभु का हो जाये वो दीवाना, दीवाना दीवाना महावीरजी का दर है सुहाना, ओ भक्तो बार बार चले आना, के करने से जिनवर भक्ति, मिलती है अद्धभुत शक्ति, के करने से जिनवर भक्ति, मिलती है अद्धभुत शक्ति, महावीरजी का दर है सुहाना। सौम्य छवि प्रभुजी की, अद्धभुत निराली प्रभु निर्वाण को पाए, शुभ दिन दीवाली, चाँदनपुर महावीरजी जो आता है टीले वाले बाबा का दरश जो पाता है उसका हो जाये उद्धारा उद्धारा उद्धारा महावीरजी का दर है सुहाना, ओ भक्तो बार बार चले आना, के करने से जिनवर भक्ति, मिलती है अद्धभुत शक्ति, के करने से जिनवर भक्ति, मिलती है अद्धभुत शक्ति, महावीरजी का दर है सुहाना

ऋषभ नाथ करते हैं, तुमको नमन ।

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(तर्ज : बहुत प्यार करते हैं - साजन ) ऋषभ नाथ करते हैं, तुमको नमन ।  ऋषभ नाथ करते हैं, तुमको नमन,  शरण में हैं आये, तुम्हारी शरण,  ऋषभ नाथ करते हैं तुमको नमन। भव भव भटकते लगे ना किनारे,  तुम्हारे बिना अब भला कौन तारे,  तुम्ही को पुकारें, हम तारण तरण ।।  ऋषभ नाथ करते हैं...... | विषय वासना में रहे लिप्त हरदम,  कषायों की ज्वाला में जलते रहे हम,  रागद्वेष का " तारा" होवे शमन ।।  ऋषभ नाथ करते हैं जपे हर घड़ी नाम जिनवर तुम्हारा,  लगे पार बेड़ा अब तो हमारा,  करे ना कभी हम तो जनम और मरण ।।  ऋषभ नाथ करते हैं "पारसनाथ करते हैं तुमको नमन।"  "महावीर स्वामी को करते नमन।"

पार्श्व प्रभु का जन्मोत्सव हैं

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  पार्श्व प्रभु प्यारा - तमारी धुन लागी  कल्याणक का उत्सव आया आनंद अपरंपार हैं ...2 आयी पोष दशमी देखो घर - घर में त्योहार हैं ...2 पार्श्व प्रभु का जन्मोत्सव हैं वामा जी के लाल हैं ...2 अश्वसेन नंदन को करता  वंदन संसार हैं ...2 बनारस में जन्मे प्रभु तारणहारे               अनंत गुणों के स्वामी तीन ज्ञान धारे ...2 तीनों लोक में प्रभु की  होती जयजयकार हैं ...2 अश्वसेन नंदन को करता वंदन संसार हैं ...2 राजमहल का सुख वैभव त्यागा पंच मुष्टि लोच करके संयम धारा ...2  प्रभु का जीवन समता का  जीवदया का सार हैं ...2 अश्वसेन नंदन को करता वंदन संसार हैं ...2 वैरी कमठ प्रभु शरण  में आया  सम्मेतशिखर पर निर्वाण पाया ...2 प्रभु पारस जग हितकारी  परमार के आधार हैं ...2 अश्वसेन नंदन को करता वंदन संसार हैं ...2 कल्याणक का उत्सव आया आनंद अपरंपार हैं ...2 आयी पोष दशमी देखो घर - घर में त्योहार हैं ...2 पार्श्व प्रभु का जन्मोत्सव हैं वामा जी के लाल हैं ...2 अश्वसेन नंदन को करता वंदन  संसार हैं ...2                        

गा - गा के सुनाऊं सबको महिमा जैन धर्म का महिमा जैन धर्म का

सूर - सूर में गाऊं सून - सून के सुनाऊं ...2 गा - गा के सुनाऊं सबको महिमा जैन धर्म का महिमा जैन धर्म का ...2 नाच - नाच के मैं गाऊ झूम - झूमके मैं गाऊं ...2  दिल - दिल में बसावुं सबको  महिमा जैन धर्म का महिमा जैन धर्म का ...2  शत्रुंजय गिरिराज हैं  आदिश्वर का साथ हैं ...2 ऐसे आदिनाथ को  हम सबका प्रणाम हैं ...4 सूर - सूर में गाऊं सून - सून के सुनाऊं गा - गा के सुनाऊं सबको महिमा जैन धर्म का महिमा जैन धर्म का ...2 शंखेश्वर का धाम हैं  पारस सबका नाथ हैं ...2 ऐसे पारसनाथ को  हम सबका प्रणाम हैं ....4 सूर - सूर में गाऊं सून - सून के सुनाऊं  गा - गा के सुनाऊं सबको  महिमा जैन धर्म का महिमा जैन धर्म का ... गिरनार जी  की आश हैं  नेमिजिन का वास हैं ...2 ऐसे नेमिनाथ को  हम सबका प्रणाम हैं ...4 सूर - सूर में गाऊं सून - सून के सुनाऊं  गा - गा के सुनाऊं सबको  महिमा जैन धर्म का महिमा जैन धर्म का ...2 अरिहंत मेरे श्वास हैं  करूणा ही विश्वास हैं ...2 ऐसी करूणा मात को  हम सबका प्रणाम हैं ...2 सूर - सूर में गाऊं सून - सून के सुनाऊं  गा - गा के सुनाऊं सबको  महिमा जैन धर्म का महिमा जैन धर्म का ...2 सूर

श्री पार्श्वनाथ चालीसा

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यह फोटो कॉपीराइट के लिए कारण हो सकते हैं  श्री पार्श्वनाथ चालीसा शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करुं प्रणाम | उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम | सर्व साधु और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार | अहिच्छत्र और पार्श्व को, मन मन्दिर में धार || | | चौपाई | | पार्श्वनाथ जगत हितकारी, हो स्वामी तुम व्रत के धारी | सुरनर असुर करें तुम सेवा, तुम ही सब देवन के देवा | तुमसे करम शत्रु भी हारा, तुम कीना जग का निस्तारा | अश्वसैन के राजदुलारे, वामा की आँखो के तारे | काशी जी के स्वामी कहाये, सारी परजा मौज उड़ाये | इक दिन सब मित्रों को लेके, सैर करन को वन में पहुँचे | हाथी पर कसकर अम्बारी, इक जगंल में गई सवारी | एक तपस्वी देख वहां पर, उससे बोले वचन सुनाकर | तपसी! तुम क्यों पाप कमाते, इस लक्कड़ में जीव जलाते | तपसी तभी कुदाल उठाया, उस लक्कड़ को चीर गिराया | निकले नाग-नागनी कारे, मरने के थे निकट बिचारे | रहम प्रभू के दिल में आया, तभी मन्त्र नवकार सुनाया | मर कर वो पाताल सिधाये, पद्मावति धरणेन्द्र कहाये | तपसी मर कर देव कहाया, नाम कमठ ग्रन्थों में गाया | एक समय श्रीपारस स्वामी, राज छोड़ कर वन की ठानी | तप करते थे

चंदा सा मुखड़ा ब्राइट चेहरे पर लाइट

 चंदा सा मुखड़ा ब्राइट  चेहरे पर लाइट  नैनो चम के जो लाइट  हमारे पारस प्रभु जी भक्तों की सुनते अर्जेंट है  हमारे प्यारे दादा भक्तों की सुनते अर्जेंट है चंदा सा मुखड़ा ब्राइट  चेहरे पर स्माइल लाइट  हमारे पारस प्रभु जी भक्तों की सुनते अर्जेंट है  हमारे प्यारे प्यारे दादा भक्तों की सुनते अर्जेंट है  चंदा सा मुखड़ा ब्राइट  चेहरे पर स्माइल स्लाइड  नैनो  चमके जो लाइक देवों में ब्रिलियंट है  हमारे प्यारे दादा भक्तों की सुनते अर्जेंट है  हमारे पारस प्रभु जी भक्तों की सुनते अर्जेंट है  भोले हैं पर प्यारे दादा लेकिन मास्टरमाइंड  ऐसे चमके मुख मंडल  सूरज को कर दे ब्लाइंड  कर्मों के बंधन टाइट प्रभु भक्ति मेरे डाइट  कर देते रॉन्ग को राइट उनमें वो टैलेंट है  हमारे प्यारे दादा भक्तों की सुनते अर्जेंट है  हमारे पारस प्रभुजी सुनते अर्जेंट है  एक तर्फे पर जाकर मैंने कर के टेस्ट है जाना  सबसे बेस्ट है मेरे प्रभु जी कहता यही जमाना  अद्भुत है जिनकी हाइट जिन से है डे ओर नाइट कर देते फ्यूचर ब्राइट हंड्रेड परसेंट है  हमारे पारस प्रभु जी भक्तों की सुनते अर्जेंट है  हमारे प्यारे प्रभु जी भक्तों की सुनते

मुनिवर आज मेरी कुटिया में आये हैं

  मुनिवर आज मेरी कुटिया में   आये हैं , चलते फ़िरते ....  चलते फ़िरते सिद्ध प्रभु आये हैं॥   हाथ कमंडल बगलमें पीछी है , मुनिवर पे सारी दुनिया रीझी है , नगन दिगम्बर ...  नगन दिगम्बर मुनिवर आये हैं ।१।   अत्र अत्र तिष्ठो हे मुनिवर  !  भूमि शुद्धि हमने कराई है , आहार कराके ...  आहार कराके नर नारी हर्षाये हैं ।२।   प्रासुक जल से चरण पखारे हैं ,  गंधोदक पा भाग्य संवारे हैं , शुद्ध भोजन के ...  शुद्ध भोजन के ग्रास बनाये हैं ।३।   नगन दिगम्बर मुद्रा धारी हैं ,  वीतरागी मुद्रा अति प्यारी है , धन्य हुए ये ...  धन्य हुए ये नयन हमारे हैं ।४।   नगन दिगम्बर साधु बडे प्यारे हैं , जैन धरम के ये ही सहारेहैं , ज्ञान के सागर ...  ज्ञान के सागर ज्ञान बरसाये हैं ।५।   x

Best jain bhajan.

तुने खुब दिया भगवान, तेरा बहोत बड़ा एहसान,

गुरू साथ - साथ चलना

मंगल-मंगल होय जगत में, सब मंगलमय होय |

हर जनम में बाबा तेरा साथ चाहिये, सिर पे मेरे बाबा तेरा हाथ चाहिये,

Naam hai tera taran hara kab tera darshan hoga

रात्रं दिवस देवा तुझी मूर्ति ध्यानात

गुरु मेरी पूजा गुरु जिनेंद्र

भजन कर मस्त जवानी में, भुडापा किसने देखा है,

पार्श्व प्रभु प्यारा - तमारी धुन लागी

चँवलेश्वर पारसनाथ म्हारी नैया पार लगाजो